‘हिन्दी भाषा की विशेषताएं एवं कठिनाइयां’ विषय पर कार्यशाला

भाकृअनुप,विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में 25 जून, 2024 को ‘हिन्दी भाषा की विशेषताएं एवं कठिनाइयां’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्याशाला का शुभारम्भ परिषद् गीत से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता के रूप में तात्कालीन कुमाऊॅं विश्वविद्यालय] नैनीताल के अल्मोड़ा परिसर की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ- दिवा भट्ट उपस्थित रहीं। सर्वप्रथम भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के कार्यकारी निदेशक डॉ-  निर्मल कुमार हेडाऊ ने सभी सहभागियों का स्वागत करते हुए राजभाषा के महत्व की जानकारी दी। मुख्य वक्ता डॉ- दिवा भट्ट ने हिन्दी भाषा की विशेषताओं एवं कठिनाइयों पर व्याख्यान देते हुवे हिन्दी के उद्भव, शब्द भण्डार, भाषा की सहायक लिपि के आविष्कार एवं विभिन्न लिपियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा जोकि दसवीं शताब्दी के आस-पास जन्म ले चुकी थी] संस्कृत से निकली प्राचीन व समृद्व भाषा है। यह विदेशों में भी भारतवर्ष का प्रतिनिधित्व करती है। भाषा वैज्ञानिकों ने भी हिन्दी की वर्णमाला में हर एक अक्षर का स्थान निर्धारित किया है। लिपि भाषा को आकृतियों के माध्यम से दर्शाती है। उन्होंने हिन्दी की पॉंच उपभाषाओं की जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि जितनी शुद्व हम हिन्दी बोलेंगे उतनी ही शुद्व हम उसको लिख पायेंगे। 

कार्यशाला के दौरान मुख्य अतिथि ने सभागार में उपस्थित सहभागियों के हिन्दी से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर भी अत्यन्त रूचिकर ढंग से दिये। इससे पूर्व विशिष्ट अतिथि डॉ- जगदीश चन्द्र भट्ट, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-वि-प-कृ-अनु-सं, अल्मोड़ा ने संस्थान में हिन्दी कार्यक्रम के आरम्भ होने की स्थिति से अवगत कराते हुवे कहा कि हिन्दी अनुवाद में आने वाली कठिनाइयों को हम हिन्दी अपने व्यवहार में अपनाकर दूर कर सकते हैं। उन्होंने हिन्दी को बढ़ावा देने के उपाय भी बताये।  

     कार्यशाला में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के फसल सुरक्षा प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष डॉ- कृष्ण कान्त मिश्रा] फसल उत्पादन प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष डॉ- बृज मोहन पाण्डे, समस्त वैज्ञानिक, अधिकारी, तकनीकी, प्रशासनिक व सहायक वर्ग के कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यशाला का सफल संचालन भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा की मुख्य तकनीकी अधिकारी एवं प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्रीमती रेनू सनवाल तथा धन्यवाद प्रस्ताव प्रभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन डॉ- बृज मोहन पाण्डे द्वारा दिया गया।